संजय त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश में बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है और सरकार सिर्फ दावे के अलावा कुछ भी कर पाने में असमर्थ नजर आ रही है। पुलिस विभाग की निष्क्रियता कहे या असफलता दोनों ही स्थिति में अपराधीयों के हौसले बुलंद ही कहे जायेंगे। हाथरस की घटना ने सबको हिला कर रख दिय है। निर्भया जैसी विभत्स घटना की पुनर्रावृत्ति हाथरस में होना सरकार, पुलिस और जागरूक समाज तीनों पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। करीब तीन माह के अंदर कई युवतियों के साथ बलात्कार और निर्शंस हत्या की घटना सामने आ चुकी है, लेकिन योगी सरकार सिर्फ विशेष सुरक्षा बल और अपराधियों के पोस्टर चैराहे पर लगाने की घोषणा में व्यस्थ है। इस साल की शुरुआत में आई राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य बताया गया और वहां महिलाओं के खिलाफ अपराध की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आईं। देश में महिलाओं के खिलाफ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए। यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8 प्रतिशत हुआ। इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 43,22 केस हुए. यानी हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए। इसमें खास बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी। एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
कुछ समय से ऐसी घटनाएं सामने आ रही है जो दिल को तार - तार कर रख दे रही। हाथरस की घटना ने अपराधियों व सरकार के प्रति एक घृणा सी पैदा कर दी है। 14 सितम्बर को एक दलित 19 साल की लड़की के साथ चार ऊंची जाति के लड़को ने सामूहिक बलात्कार किया और निर्दयता से उसके शरीर की हड्डिया तोड़ी, जीभ काटे और गर्दन दबा कर हत्या करने का प्रयास किया। इस घटना की रिपोर्ट लिखने में पुलिस ने अपनी शैली भी दिखाई। पहले हत्या के प्रयास का मुकदमा लिखकर एक आरोपी को आरेस्ट किया गया था । लेकिन पीड़िता ने जीभ कटा होने के बाद भी एक बड़े अधिकारी को टूटी - फूटी और इशारे से चार आरोपियों को बता कर मामले को गैंगरेंप और अपने साथ की गई निर्दयता को उजागर कर पाई। पीड़िता को अलीगढ़ से सफदरजंग अस्पताल में लाकर भर्ती कराया गया था जहां उसने कल दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस शव घरवालों को देने के वजाय खुद हाथरस लेकर गई। वहां प्रशासन पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में ही करना चाहता था जबकि परिवारवालें दिन निकलने के बाद कुछ संबंधियों के बाहर से आ जाने पर करने की बात कर रहे थे। देर रात पुलिस और परिवार वालों के बीच खींचतान के बाद प्रशासन ने सख्ती का प्रयोग करते हुए रात के सवा दो बजे जबरन पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया। एक तो उसके साथ इस तरह के घिनौना कार्य और मौत के बाद भी प्रशासन द्वारा अमानवीय व्यवहार योगी सरकार के रामराज्य को स्पष्ट दर्शाता है। हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आज कहा है कि हाथरस की बेटी के साथ अपराधियों के अलावा व्यवस्था ने भी गैंगरेप किया है।
ध्यान देने पर कुछ ऐसी बलात्कार की घटनाएं घटित हुए है जो योगी सरकार के हर अपराध पर नियंत्रण के दावे को खोखला सावित कर रहा है। 16 अगस्त 2020 को लखीमपुर खीरी में 13 साल की एक दलित लड़की का गेंगरेंप हुआ और उसकी लाश गन्ने की खेत में मिली। 6 अगस्त 2020 को हापुड़ में 6 साल की एक बच्ची को उसके घर के सामने से अगवा कर उसका रेप किया गया। खून से लथपथ वो झाड़ियों में फेंक दी गई थी। 5 अगस्त 2020 को बुलंदशहर जिले के खुर्जा में 8 साल की एक बच्ची के साथ रेप की कोशिश की गई और जब उसने शोर मचाया तो उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई। उसका शव भी गन्ने के खेत से मिला। लखीमपुर खीरी में ही एक 3 साल की बच्ची के साथ भी रेप और हत्या का मामला सामने आया। यह सब घटनाएं बार - बार योगी सरकार, पुलिस विभाग और प्रदेश के जागरूक नागरिकों से सवाल कर रहे कि हैवानियत का नंगा - नाच कब तक चलता रहेगा ?
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