सर्वोदय शांतिदूत ब्यूरो
साहिबाबाद । थाना लिंक रोड क्षेत्र की सूर्य नगर कॉलोनी में एक भी व्यक्ति कोविड-19 बीमारी से संक्रमित नहीं है, इसके बावजूद कॉलोनी को जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमित क्षेत्र दर्शाते हुए उसके मुख्य मार्ग को बेवजह बंद किया हुआ है। इस संबंध में वार्ड 94 के पार्षद व उद्यमी श्रीकुमार महेश्वरी ने जिला अधिकारी को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति प्रकट की है तथा लोगों को हो रही परेशानी से अवगत कराया है।
श्री कुमार माहेश्वरी ने बताया कि उनकी कॉलोनी में पिछले 25 दिनों से कोई भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति नहीं है। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने कॉलोनी का मुख्य मार्ग बल्लिया लगाकर रोक दिया है। जिसकी वजह क्षेत्र को कोविड-19 से संक्रमित बताया गया है। उन्होंने बताया कि आज कोविड-19 संक्रमण में जो विषम परिस्थितियां बनी हुई है, उसमें एक बड़ी अजीब बात देखने में आ रही है कि वार्ड-94 सूर्यनगर में पिछले 25 दिनों से कोई भी कोविड-19 केस नहीं है। जिन लोगों को संक्रमण हुआ भी था, वे सभी ठीक होकर अपने घर आ गये हैं । वर्तमान में कोई कोविड-19 का केस नहीं है। लेकिन बड़ी अजीब बात यह देखने में आई है कि जिला प्रशासन गाजियाबाद द्वारा जो भी सड़कें सील की गईं थीं वे कोविड-19 का केस मिलने के 7 से 10 दिन के बाद सील की गयीं। कुछ मामलों में तो ऐसा भी हुआ कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति अस्पताल से ठीक होकर घर भी आ गया, उसके बाद सड़क सील की गई। इसका क्या औचित्य है, समझ से बाहर रहा।
तीन मामले ऐसे आये हैं, जिसमें व्यक्ति को कोरोना हुआ ही नहीं, उसका कोरोना का टेस्ट भी नहीं हुआ और उसे कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया गया। पहला मामला ए-56, सूर्यनगर का है,उस व्यक्ति को ना कभी कोरोना हुआ, ना कोरोना का टेस्ट हुआ, उसे आकर घर से उठा के ले गये और अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। पहले तो उसे कोरोना अस्पताल में भर्ती करवा दिया और 2 दिन बाद बगैर टेस्ट के उसे वापिस घर छोड़ गये। हो सकता है गलती हो गई हो।
उसके 10 दिन बाद एक और मामला ए-8, सूर्यनगर में हुआ। एक सज्जन को कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया गया। उन लोगों ने भाग दौड़ की तो 24 घंटे बाद उन सज्जन को संक्रमित से मुक्त बता उस स्थान की सील खोल दी गई। तीसरा मामला ए-29, रामपुरी में आया, वहां भी एक सज्जन को कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया गया। वे अमेरिका से आये थे, अपने घर में थे। उनकी माताजी का देहांत हो गया था। वे अपने घर में होमक्वारेन्टाईन में थे। उनका कोरोना का कोई टेस्ट नहीं हुआ और उनको कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया गया। उनके घर के आसपास की सड़क सील कर दी गई। 24 घंटे के अंदर जिला प्रशासन के संज्ञान में सारी बात लाई गई , लेकिन कुछ नहीं हुआ।
श्री महेश्वरी का आरोप है कि संबंधित अधिकारी न फोन उठाते न जबाव देते हैं। कोरोना के नाम पर अंधेरगर्दी जारी है। ऐसा लगता है कि कोरोना के ज्यादा से ज्यादा मामले दिखाकर डब्ल्यूएचओ से ज्यादा पैसा ऐंठ कर अपनी जेबे भरने का धंधा हो रहा है। या प्रदेश सरकार को गुमराह किया जा रहा है। उन्हानेें जिला प्रशासन पर बहुत गंभीर आरोप लगाया और कहा कि उन्हें नहीं लगता कि प्रशासन नाम की कोई चीज है।
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