- यूजीसी पैनल ने अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएँ रद्द करने की अनुशंसा की
- मानव संसाधन विकास मंत्री ने यूजीसी को परीक्षा के संबंध में दिशा-निर्देशों को बदलने को कहा
- केवाईएस ने डीयू द्वारा यूजीसी कमिटी की अनुशंसा माने जाने तक अपना संघर्ष जारी रखने का किया ऐलान
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। विभिन्न खबरों के अनुसार, यूजीसी द्वारा हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित कमिटी ने सभी अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएँ करवाने के फैसले को रद्द करने की अनुशंसा की है। साथ ही, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने यूजीसी को परीक्षा के संबंध में दिशा-निर्देशों को बदलने को कहा है। इन अनुशंसाओं और एचआरडी मंत्रालय के निर्णय का दिल्ली विश्वविद्यालय के ऑनलाइन परीक्षा करवाने के निर्णय के खिलाफ अपने और छात्रों के आंदोलन की जीत के तौर पर क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) स्वागत करता है।
ज्ञात हो कि डीयू एवं अन्य विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन परीक्षा के खिलाफ केवाईएस सबसे अग्रणी भूमिका में रहा है। जहाँ छात्रों के आंदोलन के दबाव में विभिन्न राज्यों में परीक्षाएँ कराने के फैसले को रद्द कर दिया गया है, वहीं डीयू अभी भी छात्रों-शिक्षकों की परेशानियों के प्रति उदासीन बना हुआ है।
केवाईएस कार्यकर्ताओं ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर दिल्ली विश्वविद्यालय के ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा कराने के निर्णय के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन और अभियानों का आयोजन किया है। उसने इस विषय पर डीयू और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ज्ञापन भी लिखा था। ज्ञात हो कि छात्रों और शिक्षकों ने ओपन बुक परीक्षा के प्रति अपनी व्यापक समस्याएँ जताई हैं। डूटा और विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा करवाए गए सर्वेक्षणों से साफ जाहिर है कि न छात्र और न ही शिक्षक ऑनलाइन परीक्षा के पक्ष में हैं। साथ ही, लॉकडाउन और कोरोना महामारी के चलते छात्रों और उनके परिवारों को हो रही समस्याएँ भी इन सर्वेक्षणों के माध्यम से डीयू प्रशासन को ज्ञात कारवाई गई हैं। परंतु, डीयू प्रशासन छात्रों की समस्याओं पर उदासीन रवैया अख्तियार किए हुए है।
यूजीसी कमिटी की अनुशंसाएँ और एचआरडी मंत्रालय द्वारा यूजीसी को निर्देश छात्रों और शिक्षकों की चिंताओं और उनके द्वारा सुझाए गए उपायों को सही साबित करते हैं। केवाईएस इन अनुशंसाओं और एचआरडी मंत्रालय के निर्णय का स्वागत करता है और संकल्प लेता है अपना संघर्ष तब तक जारी रखेगा जब तक डीयू प्रशासन इन अनुशंसाओं को नहीं मानता है।
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