आग के गोले का दृश्य, जिसे लोगों ने उल्का पिंड समझा।
सर्वोदय शांतिदूत ब्यूरो
साहिबाबाद । साहिबाबाद रेलवे स्टेशन के बंद पड़े माल गोदाम के पास बृहस्पतिवार की रात 9.30 बजे के करीब तीन स्थानों पर आसमान से आग के गोले गिरे जिसे लोगों ने उल्कापिंड समझा। यह गोले कई घंटों तक धधकते रहे और शुक्रवार की सुबह तक उन स्थानों पर गर्मी बनी हुई थी, जिससे अमोनिया जैसी गंध आ रही थी ।
जानकारी के अनुसार श्याम पार्क मेन गली नंबर 2 और 4 के सामने बंद पड़े साहिबाबाद रेलवे स्टेशन के माल गोदाम के बीच तीन स्थानों पर 3 बड़े आग के गोले रात को 9.30 बजे के करीब गिरे। प्रत्यक्षदर्शी धर्मेंद्र शर्मा, चैधरी धर्मवीर सिंह, दीपक एवं सुरेंद्र ने बताया कि जब आग से गोले गिरे तब धीरे-धीरे बरसात हो रही थी। आग के इन गोलों की आग इतनी भयंकर थी कि उसके पास जाना संभव नहीं था और बरसात के तेज होने के बाद भी आग पर कोई असर नहीं दिख रहा था। तेज बरसात होने के बावजूद भी आग नहीं बुझी और यह गोले देर रात तक धधकते रहे। शुक्रवार की सवेरे जब इनके पास जाकर देखा गया और फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने इस पर पानी की बौछार मारी गई तो लोगों ने देखा कि सफेद रंग का दूधिया झाग वाला पानी निकल रहा था और अमोनिया जैसी गैस वहां फैल गई। अभी तीनों स्थानों पर इनके अवशेष पड़े हैं।
गोले का अवशेष
इतनी बड़ी घटना के बावजूद जिला पुलिस प्रशासन का कोई भी अधिकारी सूचना मिलने के बावजूद मौके पर नहीं पहुंचा था। यह उल्कापिंड थे अथवा कुछ और लेकिन लोगों में दहशत है। लोगों का यह भी कहना था कि पहले उन्होंने समझा कि शायद हाईटेंशन बिजली की लाइन का कोई तार यहां टूट कर गिरा है उससे आग लगी है। लेकिन जब उन्होंने देखा कि क्षेत्र की बिजली बराबर आ रही है तो लोगों के समझ में आया कि यह एक खगोलीय घटना है। जिसमें आग का गोला जैसा कोई उल्का पिंड आसमान से गिरा है। यह आग का गोला उल्का पिंड ही हो सकता है, जो गिरते समय पिघले हुए लोहे की तरह धड़क रहा था। इन गोलों के स्थानों पर उन्हें देखने वाले लोगों का मजमा लगा हुआ है और लोगों का आना-जाना जारी है। बच्चे इन गोलों को जो अब ठंडे हो चुके हैं उठा -उठा कर के खेल रहे हैं । कुछ अपने घर भी ले गए हैं। बिना रासायनिक विश्लेषण के इन अवशेषों को घर ले जाना खतरनाक भी हो सकता है। लेकिन जिला प्रशासन की सुस्ती लोगों के समझ में नहीं आ रही।
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