नयी दिल्ली/ लखनउ । लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्षी दलों के महागठबंधन की संभावनाओं को झटका लगा है । बसपा ने मंगलवार को साफ कर दिया कि वह 11 अप्रैल से शुरू हो रहे चुनाव में कांग्रेस के साथ किसी भी राज्य में गठबंधन नहीं करेगी ।
मायावती ने एक बयान में कहा, 'ये बात पुन: स्पष्ट की जा रही है कि बहुजन समाज पार्टी किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी ।' बसपा सुप्रीमो की टिप्पणी ऐसे दिन आयी, जब कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक अहमदाबाद में चल रही है ।
सपा के साथ उत्तर प्रदेश में चुनाव पूर्व गठबंधन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बसपा व सपा का गठबंधन दोनों ओर से परस्पर सम्मान व पूरी नेक नीयति के साथ काम कर रहा है । यह 'परफेक्ट एलायन्स' माना जा रहा है जो सामाजिक परिवर्तन की जरूरतों को पूरा करता है तथा भाजपा को पराजित करने की क्षमता भी रखता है और देशहित में यह आज की आवश्यकता है ।
उल्लेखनीय है कि सपा—बसपा ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में गठजोड़ किया है । कांग्रेस को इससे बाहर रखा गया हालांकि सपा—बसपा ने तय किया कि वे रायबरेली और अमेठी से अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगे । अमेठी से इस समय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और रायबरेली से उनकी मां सोनिया गांधी लोकसभा सांसद हैं ।
प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से सपा 37 पर और बसपा 38 पर चुनाव लडेगी । तीन सीटें अजित सिंह के नेतृत्व वाली रालोद के लिए छोडी गयी हैं ।
बसपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मेरठ, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ, आगरा और फतेहपुर सीटों पर प्रत्याशी उतार रही है । वह आंवला, शाहजहांपुर, धौरहडा, सीतापुर, मिश्रिख, मोहनलालगंज, सुल्तानपुर, प्रतापगढ, फर्रूखाबाद, अकबरपुर, जालौन, हमीरपुर, फतेहपुर, आंबेडकरनगर, कैसरगंज, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, देवरिया, बांसगांव, लालगंज, घोसी, सलेमपुर, जौनपुर, मछलीशहर, गाजीपुर और भदोही से भी उम्मीदवार उतारेगी ।
उत्तर प्रदेश को छोड़ बाकी अन्य विभिन्न राज्यों के पार्टी नेताओं को नयी दिल्ली में संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि बसपा से चुनावी गठबंधन के लिये कई पार्टियाँ काफी आतुर हैं, लेकिन थोड़े से चुनावी लाभ के लिये हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जो पार्टी मूवमेन्ट के हित में बेहतर नहीं है ।
मायावती के ऐलान के बाद कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख राजीव बक्शी ने कडी टिप्पणी की, 'वह :मायावती: नहीं तय करेंगी कि हम गठबंधन करना चाहते हैं या नहीं । उनकी संसद में एक भी सीट नहीं है । वो कैसे तय कर सकती हैं कि कांग्रेस को साथ आना है या नहीं।' बक्शी ने कहा कि हम अकेले दम पर चुनाव लड रहे हैं । हम गठबंधन नहीं चाहते । हमें उनकी :मायावती: जरूरत नहीं है । कांग्रेस के बारे में बोलने की बजाय मायावती पहले सपा के साथ अपने गठबंधन पर ध्यान दें, जो टूट रहा है । 'केवल 15 से 20 दिन इंतजार कीजिए और देखिये क्या क्या होता है ।' उन्होंने दावा किया कि बसपा के साथ किसी भी स्तर पर गठबंधन के बारे में चर्चा नहीं हुई है ।
इस बीच मायावती की टिप्पणी पर कांग्रेस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक समाचार चैनल से कहा, 'हम हर दल की राय का सम्मान करते हैं। हम इस नजरिये :मायावती के नजरिये: का भी सम्मान करते हैं ।' इससे पहले सिंधिया ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में पार्टी अपने दम पर चुनाव लडेगी ।
उन्होंने यह भी कहा था कि जहां तक गठबंधन को लेकर बातचीत का प्रश्न है, समान विचारधारा वाले दलों को समान रूप से सोचना भी चाहिए । उधर मायावती की टिप्पणी ऐसे दिन आयी है, जब आयकर विभाग ने मंगलवार को ही उनके पूर्व सचिव और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नेतराम के दिल्ली और लखनऊ परिसरों में छापा मारकर तलाशी ली । यह छापेमारी कथित कर चोरी के मामले में की गई है । वर्ष 1979 बैच के उत्तर प्रदेश काडर के अधिकारी नेतराम ने मायावती के मुख्यमंत्री काल में कई शीर्ष पदों पर काम किया । अब सेवानिवृत्त हो चुके नेतराम वर्ष 2002-03 में मायावती के सचिव भी रहे ।
यह छापेमारी 90 करोड़ रुपये मूल्य के फर्जी लेनदेन या कारोबार में कथित कर चोरी के मामले में की गई है । यह छापेमारी नोटबंदी के बाद बैंक में जमा करायी नकदी के मामले से संबंधित हो सकती है । नेतराम उत्तर प्रदेश में आबकारी, चीनी उद्योग और गन्ना विभाग, स्टांप एवं पंजीकरण, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग जैसे प्रमुखों के पद पर रहे ।
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