शांतिदूत न्यूज नेटवर्क
नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि आजादी के समय देश में रक्षा उत्पादन का बहुत सामर्थ्य और संभावनाएं थी लेकिन दुर्भाग्य से दशकों तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया और देश रक्षा उत्पादों का बड़ा आयातक बनकर रह गया।
श्री मोदी ने यहां फिक्की और रक्षा मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत के बारे में आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि भारत कई सालों से दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातकों में शामिल रहा है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को नजरंदाज किये जाने के कारण ही ऐसा हुआ। उन्होंने कहा , “ जब भारत आजाद हुआ था तो उस समय रक्षा उत्पादन के लिए भारत में बहुत सामर्थ्य था। उस समय भारत में 100 साल से अधिक समय से स्थापित रक्षा उत्पादन का पारिस्थतकीय तंत्र था और भारत जैसा सामर्थ्य तथा संभावना बहुत कम देशों के पास थी।” उन्होंने कहा लेकिन भारत का दुर्भाग्य रहा कि दशकों तक इस विषय पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना देना चाहिए था। “ यह एक प्रकार से रूटीन बन गया, कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए थे। और हमारे बाद में शुरूआत करने वाले अनेक देश भी पिछले 50 साल में हमसे बहुत आगे निकल गए। लेकिन अब स्थिति बदल रही है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र से जुड़ी सभी बेड़ियां तोड़ने प्रयास किया है। सरकार ने विनिर्माण बढाने , प्रौद्योगिकी विकसित करने और निजी क्षेत्र का रक्षा क्षेत्र में विस्तार करने का प्रयास किया है। इसके लिए कई सुधार किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि रक्षा क्षेत्र में देश में एक नई मानसिकता का जन्म हुआ है। आधुनिक और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्मविश्वास की भावना अनिवार्य है और सरकार इसके लिए जरूरी कदम उठा रही है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति इसमें बहुत अहम है। यह निर्णय नए भारत के आत्मविश्वास का प्रतीक है।
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