- सरकारी स्कूल की ऊँची पास प्रतिशत एक ढकोसला, डीयू कालेजों में एडमिशन के लिए छात्रों के अंक नाकाफी
- सरकारी स्कूल के छात्रों को सरकारी कॉलेज के दाखिलों में रियायत व समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने कि अहम जरूरत: केवाईएस
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। सीबीएसई द्वारा जारी किये 12वीं के परिणाम ने एक बार फिर से दिल्ली के सरकारी स्कूल छात्रों के भविष्य को अधर में डाल दिया है। औसतन सरकारी स्कूल के छात्रों को बेहद कम अंक प्राप्त हुआ हैं, कुछ गिने-चुने छात्रों को ही उच्च अंक प्राप्त हो पाये हैं।
डीयू में एडमिशन लेने के लिए पास प्रतिशत नहीं, बल्कि ऊँचे अंकों की जरुरत होती है जिस कारण सरकारी स्कूलों के छात्रों का एक बड़ा हिस्सा कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलने के कारण अपनी पढ़ाई छोड़ देता है।
ज्ञात हो कि दिल्ली सी.बी.एस.ई विद्यार्थियों का सबसे बड़ा जोन था, मगर इसमें सबसे बड़ी संख्या में शामिल सरकारी स्कूल के छात्रों का परिणाम बेहद खराब रहा। बहुसंख्यक छात्रों को 50-65 प्रतिशत के बीच अंक आये हैं जिस कारण से उन्हें रेगुलर कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल पायेगा और उन्हें पत्राचार के कोर्सों में स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) जैसे संस्थान में एडमिशन लेना पड़ेगा। बहुसंख्यक छात्रों को सरकारी कालेजों और विश्वविद्यालयों में एडमिशन मिलना लगभग असंभव है। दूसरी ओर उन्हें एडमिशन के लिए प्राइवेट स्कूल के छात्रों के साथ कम्पटीशन करना होता है, जहाँ वो अपने वंचित आधार के कारण पिछड़ जाते हैं। बिलकुल बेकार पत्राचार विद्यालयों में पढ़ने को मजबूर होने के परिणामस्वरूप समाज के सबसे पिछड़े तबके से आने वाले छात्रों को उन्ही कामों में ढकेला जाता रहा है जिसमे उनके पुरखे थे।
केवाईएस का मानना है की सरकारी छात्र जो वंचित समाज से आते हैं, उन्हें सरकारी मदद की ज्यादा जरुरत है। मगर प्राइवेट स्कूल के छात्र उन्हें एडमिशन में पिछाड़ देते हैं और इसलिए आने वाले दिनों में केवाईएस दिल्ली के विभिन्न इलाकों में जन-अभियान चलाकर दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित कॉलेजों व अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के इच्छुक सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए अंकों में रियायत दिए जाने के लिए अपना आन्दोलन तीव्र करेगा। केवाईएस पहले भी डीयू में सीटें बढ़ाने और ऊँचे कट-ऑफ को लेकर संघर्षरत रहा है, ताकि उच्च शिक्षा के इच्छुक सभी छात्रों को आगे पढ़ने का मौका मिल सके। ऊँचे कट-ऑफ के खिलाफ पिछले साल, केवाईएस कार्यकर्ताओं ने आर्ट्स फैकल्टी पर कट-ऑफ की एक प्रति का भी दहन किया था।
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