- एसओएल छात्रों की कक्षाओं और स्टडी मटेरियल से जुड़ी समस्याओं को सुलझाए बिना उनको असाइनमेंट के आधार पर उत्तीर्ण करना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है: केवाईएस
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्रथम व द्वितीय वर्ष छात्रों को पिछले सेमेस्टर के परफॉर्मेंस और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर प्रोमोट करने का फैसला लिया है। डीयू प्रशासन का कहना है कि इस साल केवल तृतीय वर्ष छात्रों कि ऑनलाइन माध्यम से परीक्षाएँ करवाई जाएँगी क्योंकि लॉकडाउन के चलते छात्रों की रेगुलर परीक्षाएँ लेना संभव नहीं है। विश्वविद्यालय द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार एसओएल में पढ़ रहे प्रथम व द्वितीय वर्ष छात्रों का ऑनलाइन असाइनमेंट देना होगा, जिसके आधार पर अगले सत्र में उनका प्रमोशन किया जाएगा और तृतीय वर्ष छात्रों को ऑनलाइन परीक्षाएँ देनी होंगी।
एसओएल द्वारा प्रथम व द्वितीय वर्ष छात्रों को ऑनलाइन असाइनमेंट के आधार पर प्रोमोट करने के फैसले के पीछे छात्र-हित नहीं, बल्कि खराब स्टडी मटेरियल और कक्षाओं की अनियमित्ताओं को छिपाने का प्रयास है। ज्ञात हो कि एसओएल के सभी स्टडी मटेरियल में भारी गड़बड़ियाँ हैं। मटिरियल में स्पेलिंग और टाईपिंग की गलतियों से लेकर अध्याय और पृष्ठ गायब होना आम हैं। इसके साथ ही तथ्यों और विवेचना की गलतियों को बार-बार चिन्हित करने के बावजूद भी सुधारा नहीं गया है और स्टडी मटेरियल को लंबे समय से अपडेट नहीं किया गया है। ज्ञात हो कि 19-20 के अकादमिक सत्र में छात्रों पर बिना तैयारी जल्दबाजी में सीबीसीएस प्रणाली यानि सेमेस्टर प्रणाली थोपी गयी थी। इस जल्दबाजी और तैयारी की कमी का आलम यह था की पुराने स्टडी मटेरियल से कांट-छाट कर ही नया मटेरियल बनाया गया है, जिसमे पुराने मटेरियल की तमाम गलतियाँ जस-की-तस बनी हुई हैं। बताना चाहेंगे कि प्रथम सेमेस्टर के एसओएल छात्रों के मटेरियल का न तो पियर-रिवियू (अन्य शिक्षकों द्वारा आंकलन) किया गया है और न ही लेखक का नाम दिया गया है। इसके अतिरिक्त, सभी कोर्स के स्टडी मटिरियल का यही हाल है। ऐसे में तृतीय वर्ष छात्रों की ऑनलाइन परीक्षाएँ और प्रथम व द्वितीय वर्ष छात्रों को ऑनलाइन असाइनमेंट के आधार पर प्रोमोट करने का फैसले विश्वविद्यालय द्वारा अपनी जवाबदेही और नाकामी छिपाने का ही प्रयास है।
ऑनलाइन परीक्षाओं की बात करे तो शिक्षकों सहित छात्रों ने भी इसका विरोध किया है, लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा जबरन इस फैसले को थोपना एसओएल छात्रों के साथ भारी अन्याय है, क्योंकि यहाँ पढ़ रहे बहुसंख्यक छात्र गरीब एवं निम्न वर्गीय परिवारों से आते हैं। ध्यान देने कि बात है कि एसओएल के तीनों वर्ष के छात्रों की कक्षाओं के दौरान लॉकडाउन लागू हुआ था, जिस कारण कक्षाएँ पूरी नहीं हुई है। प्रशासन द्वारा दिखावटी ऑनलाइन कक्षाओं का भी आयोजन किया गया था जिसकी जानकारी बहुसंख्यक छात्रों को नहीं दी गयी थी। जिन्हें जानकारी दी भी गयी थी वे स्मार्टफोन, इंटरनेट और अन्य सुविधाओं के आभाव में कक्षा नहीं ले पाये हैं, ऐसे में छात्रों (खासकर प्रथम वर्ष के छात्र जिनपर नया सीबीसीएस पाठ्यक्रम थोपा गया है) के लिए बिना पूर्ण अध्यापन के ऑनलाइन परीक्षाएँ आयोजित करना भारी अन्याय है। केवाईएस मांग करता है कि डीयू प्रशासन अपना यह छात्र-विरोधी फैसला वापस ले और लॉकडाउन के बाद कक्षाएँ आयोजित कर, ऑफलाइन परीक्षा ले।
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