- आदेश पूँजीपतियों और उद्यमियों को बंधुआ मजदूर मुहैया कराने की एक चाल
- घर जाने के इच्छुक सभी मजदूरों को केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षित घर पहुंचाए जाने की मांग उठाई
- ट्रेड यूनियने सभी को वेतन और यात्रा-भत्ता सुनिश्चित करने की भी उठाई मांग
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । मजदूर, युवा, महिला संगठन और ट्रेड यूनियन गृह मंत्रालय द्वारा कल दिये गये आदेश की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें उन प्रवासी कामगारों को यात्रा करने से वंचित किया जा रहा है, जिसको केंद्र सरकार फंसा हुआ नहीं मानती।
ज्ञात हो कि लॉकडाउन के बीच जीवन और जीविका से संबंधित अनिश्चितताओं के चलते सरकार द्वारा कामागारों की अपने घरों को लौटने की मांग को स्वीकार करने के बाद यह फैसला आया है। इस फैसले के साथ यह अपने आप स्पष्ट होता है कि गृह मंत्रालय कॉर्पोरेटों और उद्यमियों के इशारे पर काम कर रहा है, ताकि बंधुआ मजदूर मुहैया कराकर उन्हें फिर से काम शुरू करने में ‘मदद’ की जा सके।
आदेश में कहा गया है कि केवल वे कामगार, जो लॉकडाउन से ठीक पहले अपने मूल स्थानों से बाहर चले गए थे और वापस नहीं आ सके, उन्हें घर जाने की अनुमति दी जाएगी, न कि उन कामगारों को जो काम के उद्देश्य से आए थे। यह मनमाना निर्णय केवल यह बताता है कि ज्यादातर मजदूर जो गंदी बस्तियों और झुग्गियों में बिना पर्याप्त खाने के रह रहे हैं, उन्हें घरों तक यात्रा करने की मंजूरी नहीं दी जाएगी, क्योंकि केंद्र सरकार यह मानती है कि उनकी स्थिति कुछ खराब नहीं है। इस संदर्भ में, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि शहरों में अधिकांश कामगार नौकरी से निकाल दिये गये हैं और उनके पास न तो पैसा है और न ही सरकार द्वारा उन्हें कोई सहायता प्राप्त है। लॉकडाउन के दौरान ऐसी कठिन परिस्थिति और अनिश्चितताओं के कारण, ज्यादातर मजदूर अपने घरों में वापस जाने के लिए परेशान हैं। इसके अलावा, सरकार ने ट्रेनों को केवल ऐसे स्थानों पर प्रदान किया गया है, जहां कामगारों ने विरोध किया था। देश के दूसरे हिस्सों के मजदूरों के लिए गृह मंत्रालय का यह आदेश उनको प्रभावी रूप से बंदी बनाता है, ताकि अर्थव्यवस्था को पुनः शुरू करने हेतु कॉर्पोरेटों और उद्यमियों को जबरन श्रम प्रदान किया जा सके। सरकार द्वारा मजदूरों के प्रति की गई उपेक्षा के चलते अधिकांश मजदूर भुखमरी और जीवन-जीविका संबंधी अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि देश के विभिन्न हिस्सों में न सिर्फ मजदूरों को उनके घर जाने से रोका जा रहा है, बल्कि कुछ जगहों जैसे सूरत में उनपर पुलिस द्वारा टियर-गैस छोड़कर उनको तितर-बितर किया जा रहा है। यह मजदूर सिर्फ अपने घर जाने की मांग कर रहे हैं। यह कदम केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का मजदूर-विरोधी चेहरा साफ उजागर करता है। हम मांग करते हैं कि सभी मजदूर जो अपने घर जाना चाहते हैं, उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाया जाये और उन्हें यात्रा-भत्ता दिया जाये। साथ ही, केंद्र सरकार सुनिश्चित करे कि उन्हें लॉकडाउन से पहले और उसके दौरान किए गए काम का पूरा वेतन मिले। केंद्र सरकार द्वारा सभी कामगार जनता को 3 महीने की मूलभूत न्यूनतम आय सुनिश्चित किए जाने की भी हम मांग करते हैं, ताकि इस संकट की स्थिति से वो उबर सकें।
0 comments:
Post a comment