सर्वोदय शांतिदूत ब्यूरो
साहिबाबाद । कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते गर्भवती महिलाओं को दोहरा संकट झेलना पड़ रहा है। पहला संकट तो यह है कि वे अपने घर से चिकित्सालय तक कैसे पहुंचे ? दूसरा संकट है कि कोई भी अस्पताल बिना करोना टेस्ट रिपोर्ट के उन्हें अपने यहां भर्ती नहीं कर रहा।
जानकारी के अनुसार गर्भवती महिलाओं के तीमारदार जब अस्पताल में प्रसूति कार्य के लिये ले जाने के लिए सोचता है तो पहले संकट आता है वह लाॅकडाउन के चलते कैसे पहुंचे ? हालांकि एंबुलेंस सेवा 108 उत्तर प्रदेश सरकार प्रदान कराती है। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इसके समय पर पहुंचने में भी संकट है । दूसरा जब वह अस्पताल पहुंचता है तो पहले तो उसे डॉक्टर कोरोना टेस्ट कराने की बात कहते हैं और वह भी जब हाथ डालते हैं जब गर्भवती की रिपोर्ट नैगेटिव आये।
मजदूरों के मामले में और भी बुरा हाल है। जो कारखाना श्रमिक ईएसआई से संबद्ध हैं, उनके सामने दोहरा संकट है। ईएसआई का साहिबाबाद का एकमात्र अस्पताल कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। अब इस अस्पताल में अन्य बीमारियों के इलाज के अलावा प्रसूति के काम नहीं हो रहे।
इस संबंध में जब अस्पताल के अधीक्षक डॉ प्रदीप कुमार से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनका कुछ प्राइवेट अस्पतालों से टाईअप है। वहां डिलीवरी केस हो जाएंगे। इसके लिए बीमांकित व्यक्ति शांति गोपाल अस्पताल आदि पैनल के अस्पताल में जा सकते हैं। लेकिन वहां जब एक बीमांकित व्यक्ति ने अपनी पत्नी की डिलीवरी के संबंध में बात की तो वहां बताया गया कि उनके यहां कोरोना वायरस के कारण कोई डॉक्टर इस समय उपलब्ध नहीं है। लिहाजा प्रसूति का काम नहीं हो पाएगा। उस अस्पताल ने वसुंधरा सेक्टर 15 स्थित एक अन्य अस्पताल का नाम सुझाया। वहां जाने पर पता चला कि वह बिना कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट के प्रसूति का काम नहीं करेंगे और उसका पैसा भी उसे अपनी जेब से भरना होगा। इसके साथ ही उसे ईएसआईसी के चिकित्सालय से उनके अस्पतल के लिए रेफर कर आना होगा। वह गरीब कारखाना मजदूर अब कोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट के लिए भटक रहा है कि कोबिड-19 का टेस्ट कहां से होगा अब यह समस्या है? समस्या यह है कि आखिर आदमी जाए तो जाए कहां और कैसे ?
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